मात्र स्वार्थ सिद्धि हेतु किसी चराचर जीव को मन,कर्म और वाणी से क्षति पहुँचाना हिंसा है।जगत के सभी जीवों को इस धरा पर विचरण करते हुए जीवन यापन का समान अधिकार है कोई भी किसी के इस अधिकार पर अतिक्रमण नहीं कर सकता जो ऐसा करता है वह दुष्ट और हिंसक है।संसार में सभी प्राणियों को प्राणों के समान प्रिय अन्य कोई वस्तु नहीं है जैसे स्वयं पर दया अभीष्ट होती है दूसरों पर भी होनी चाहिये।