बुधवार, 30 मई 2012

अजब मौसम है, मेरे हर कद़म पे फूल रखता है

अजब मौसम है, मेरे हर कद़म पे फूल रखता है
मुहब्बत में मुहब्बत का फरिश्ता साथ चलता है

मैं जब सो जाऊँ, इन आँखों पे अपने होंठ रख देना
यक़ीं आ जायेगा, पलकों तले भी दिल धड़कता है

हर आंसू में कोई तसवीर अकसर झिलमिलाती है
तुम्हें आँखें बतायेंगी, दिलों में कौन जलता है

बहुत से काम रुक जाते हैं, मैं बाहर नहीं जाता
तुम्हारी याद का मौसम कहाँ टाले से टलता है

मुहब्बत ग़म की बारिश हैं, ज़मीं सर-सब्ज होती है
बहुत से फूल खिलते हैं, जहां बादल बरसता है

कभी फुरसत मिले तो पानी की तहरीरों को पढ़ लेना ,
हर एक दरिया हजारों साल का अफ़साना लिखता है,

तुम्हारे शहर के सारे दिये तो सो गए लेकिन,
हवा से पूछना दहलीज पे ये कौन जलता है,
    व व

नाखुदा मेरे सफीने का जब खुदाया है

दिल के आँगन में गम का साया है,
जो था अपना वो अब पराया है,
उलझ गया हूँ गमे जिंदगी की उलझन में,
ये किस मक़ाम पे हमें वक़्त ले के आया है,
सफ़र तमाम इस एतबार में गुजरा,
नाखुदा मेरे सफीने का जब खुदाया है,
तिनके-तिनके से बनाये था जिस नशेमन को,
उम्मीदे-चरागाँ ने उसे जलाया है,
कहाँ गयी वो तबस्सुम गुलों के चेहरों से,
बड़ी हसरत से जिन्हें शाख पर सजाया है,
दिले नादाँ कुसूर है तेरा,
बेवफा पे तुझे क्यों प्यार आया है,
कोई तो आके सुने दस्ताने-गम मेरा,
कि कहर कितना घटाओं ने बरपाया है,
था जो रोशन चिराग हसरत का,
गम की आंधी ने उसे बुझाया है,

बुधवार, 23 मई 2012

उजालों की चाह में

निकला था मैं सफ़र में उजालों की चाह में,
लेकर हसीन ख़वाब हजारों निगाह में,
लेकिन मेरी किस्मत   को ये मंजूर नहीं था,
हमको मिले तमाम अँधेरे ही राहमें,
ये देख कर दुनिया को हो जाएगी तसल्ली,
ए दिल चला जा तू ग़मों की पनाह में,