पर्यावरण में प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, कोई भी सरकार इस विषय में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. आज मानव की छोटी छोटी गलतियाँ उसके भविष्य की खातिर खतरा बनती जा रही है . आखिर इस विषय में गंभीरता से क्यों नहीं सोचा जा रहा है क्या सोचने का समय हमें समय नहीं है कहीं ऐसा नहोजाये कि ज़ब हम सोचना शुरु करें काफी देर हो चुकी हो. प्लास्टिक और अन्य पर्यवरण विरोधी वस्तुओं से हम रोज किसी नकिसी रूप से इस पर्यावरण को नुक्सान पहुचाते हैं, हमेयह विल्कुल नहीं ख्याल रहता है कि हम दिन भर में कितनी बार इस प्रकृति के दुश्मन बन बैठते हैं. हमारी यह गलती ही एक दिनहम सबको ले डूबेगी. अभी भी समय है कि हम इस प्रकृति को बचा सकते हैं साथ ही अपना जीवन और भविष्य भी बचा सकते हैं, यदि हम अपनी रोज की प्रकृति के विरुद्ध छोटी छोटी गलतियाँ सुधार लें.
शनिवार, 5 मार्च 2011
मंगलवार, 1 मार्च 2011
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार आज देश के प्रत्येक नागरिक में व्याप्त है, नेता को अपना स्वार्थ दिखाई देता है और वोटर को अपना, नौकरशाह को अपना, हर व्यक्ति इस दलदल में बुरी तरह से फंसा हुआ है. वोटर मात्र अपने स्वार्थ के लियें भ्रष्ट नेता को vote देकर विजयी बना देता है. अपने स्वार्थ के आगे उसे नेता का चरित्र नहीं दिखाई देता है.लालच में वह अंधा हो जाता है उसको यह नहीं पता चलता की वह क्या कर रहा है. यह एक अजीब विडम्बना है, नागरिक विल्कुल नहीं समझ रहे हैं की उन्होंने भ्रष्ट नेता को चुनकर परोक्ष रूप से अपना कितना नुकसान कर लिया है. भ्रष्टाचारियों को आगे बढ़ाने की एक रीत सी चल रही है. भ्रष्टाचारियों को लोग संरक्षण दे रहे हैं. इसमें वे अपना हित समझ रहे हैं. स्वक्ष आचरण लोगों की समझ में नहीं आ रहा है. यहाँ तक कि लोग अपने बच्चों को भी बेईमानी का ही पाठ पढ़ा रहे हैं.
gazal
मेरे टूटे हुए दिल को दुबारा तोड़ देते हैं,
दिखाते हैं हमारे सामने वो बेरुखी अपनी
मेरा हर बार तन्हाई से नाता जोड़ देते हैं.
तमन्ना है की मैं ले जाऊं साहिल पर सफीने को,
मगर वो बारहा कश्ती भंवर में मोड़ देते हैं.
जियें इस हाल में कैसे लोगों बताओ तुम,
न जाने वो हमें किसके सहारे छोड़ देते हैं
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