पर्यावरण में प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, कोई भी सरकार इस विषय में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है. आज मानव की छोटी छोटी गलतियाँ उसके भविष्य की खातिर खतरा बनती जा रही है . आखिर इस विषय में गंभीरता से क्यों नहीं सोचा जा रहा है क्या सोचने का समय हमें समय नहीं है कहीं ऐसा नहोजाये कि ज़ब हम सोचना शुरु करें काफी देर हो चुकी हो. प्लास्टिक और अन्य पर्यवरण विरोधी वस्तुओं से हम रोज किसी नकिसी रूप से इस पर्यावरण को नुक्सान पहुचाते हैं, हमेयह विल्कुल नहीं ख्याल रहता है कि हम दिन भर में कितनी बार इस प्रकृति के दुश्मन बन बैठते हैं. हमारी यह गलती ही एक दिनहम सबको ले डूबेगी. अभी भी समय है कि हम इस प्रकृति को बचा सकते हैं साथ ही अपना जीवन और भविष्य भी बचा सकते हैं, यदि हम अपनी रोज की प्रकृति के विरुद्ध छोटी छोटी गलतियाँ सुधार लें.
उत्तम विचार| हर बड़े काम के शुरुवात छोटे कदम से होती हैं| अपनी आदतों को पर्यावरण के अनुकूल बना के प्रकृति को नष्ट होने से बचाया जा सकता हैं|
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