भ्रष्टाचार आज देश के प्रत्येक नागरिक में व्याप्त है, नेता को अपना स्वार्थ दिखाई देता है और वोटर को अपना, नौकरशाह को अपना, हर व्यक्ति इस दलदल में बुरी तरह से फंसा हुआ है. वोटर मात्र अपने स्वार्थ के लियें भ्रष्ट नेता को vote देकर विजयी बना देता है. अपने स्वार्थ के आगे उसे नेता का चरित्र नहीं दिखाई देता है.लालच में वह अंधा हो जाता है उसको यह नहीं पता चलता की वह क्या कर रहा है. यह एक अजीब विडम्बना है, नागरिक विल्कुल नहीं समझ रहे हैं की उन्होंने भ्रष्ट नेता को चुनकर परोक्ष रूप से अपना कितना नुकसान कर लिया है. भ्रष्टाचारियों को आगे बढ़ाने की एक रीत सी चल रही है. भ्रष्टाचारियों को लोग संरक्षण दे रहे हैं. इसमें वे अपना हित समझ रहे हैं. स्वक्ष आचरण लोगों की समझ में नहीं आ रहा है. यहाँ तक कि लोग अपने बच्चों को भी बेईमानी का ही पाठ पढ़ा रहे हैं.
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