जब जिन्दगी पे तेरी रहमत का नूर बरसे,
हर आरजू हो पूरी और ख्वाब सारे मन के,
रोशन है जर्रा-जर्रा तेरे नूर की बदौलत,
गुलशन की हर कली और फूल-फूल महके,
पाकर तुम्हे लगा की कुछ भी नहीं बचा,
हर साँस तुमपे वारी और जान तुमपे सदके,
हो जाये जब तुम्हारी नजरो की इनायत,
वो शक्श इस जहाँ में सूरज की तरह चमके,
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