pankaj
गुरुवार, 13 अक्टूबर 2011
कितनी नायब ये निशानी है
बहते दरिया सी रवानी है
आपकी मेरी जिंदगानी है
कितने हैं ख्वाब और तमन्नाएँ,
बीत जाये तो एक कहानी है,
गोद में खेलती है कुदरत के,
कितनी नायब ये निशानी है,
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