टूटो तो विखर जाओ सितारों की तरह ।
दुनिया को नज़र आओ नज़ारों की तरह।
हंसने का सलीक़ा काँटों के दरमियाँ ,
कलियों को तुम बताओ बहारों की तरह।
जितनी भी चली आयें गमे -आंधियाँ यहाँ ,
अपने कदम जमाओ दीवारों की तरह।
सीने सेलगाते हैं जो बेबसों को भी ,
कश्ती को नज़र आओ किनारों की तरह।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें