मंगलवार, 12 जून 2012

भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार समाप्त हो ऐसी इच्छा जनता में नहीं है सब किसी न किसी तरह इसे फलता फूलता देखना चाहते हैं धनवान बनने की होड़ भ्रष्टाचार को ऊर्जा प्रदान करती है, दिन बा दिन हम अंपने संसाधनों को बढ़ाते जा रहे हैं इसके लिए हमें धन की जरुरत होती है जिसे हम ईमानदारी पूर्वक नहीं अर्जित कर सकते हैं,हमारी बढती जरूरतें ही हमें भ्रष्ट बनाती हैं, हम ज्ञानार्जन की अपेक्षा धनार्जन को महत्त्व दे रहे हैं, कदाचित ये... प्रवृत्ति एक दिन इस पूरेतंत्र को विफल कर देगी सभी लोग इस तंत्र को विफल करने में लगे हैं वे जिस वृक्ष की छाया में फल फूल रहे है उसकी ही जड़ों को नुकसान पंहुचा रहे हैं, एसा कुछ भी नहीं हो रहा है जिससे इस तंत्र को मजबूती और पोषण मिले. भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए किसी बड़े आन्दोलन और क्रांति की आवश्यकता नहीं है बल्कि आत्ममंथन की आवश्यकता है कि हम जिस रास्ते पर जा रहे हैं क्या वह उचित है क्या मात्र हमारे ही धनवान होने से सामाजिक व्यवस्था और लोकतंत्र मजबूत हो जायेगा

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