शुक्रवार, 15 जून 2012

हम तुम्हारे हैं और तुम हमारे सदा,

वो  जबसे खेयालों  में आने लगे हैं,
बेखुदी में हम गुनगुनाने लगे हैं,
जब भी  मिलते थे खामोश रहते थे अब,
वो  मुझे देखकर मुस्कुराने लगे हैं,
एक  खूबसूरत सा वो अक्स बनके,
धीरे-धीरे से दिल में  समाने लगे हैं,
किससे है किसको  ज्यादा मुहब्बत  यहाँ,
वो हमें हम उन्हें आजमाने लगे हैं,
किनारों पर दिल के खेयाल आपके,
लहरों की तरह से आने-जाने लगे हैं,
इतना  बेचैन  मन था न  पहले कभी,
रात-दिन वो हमें याद आने लगे हैं,
हाय खामोश आखों की गहराइयाँ,
उन झीलों में हम दिल डुबाने लगे हैं,
प्यार का ये तुम्हारे नशा हल्का-हल्का,
बिन पिए अब कदम लड़खड़ाने लगे हैं,
न होना कभी हमसे नाराज तुम,
मनाने में तुमको ज़माने लगे हैं,
हम तुम्हारे हैं और तुम हमारे सदा,
सारे भौरे येही गीत गाने लगे  हैं,
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें